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Desi Pics - My hot auntyyy..!! For ravaging your dicks..

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Here this thread is dedicated for my aunt and her name is uttara
Please comment so that i upload her pics.. ;)

Mixed Bag - Incest Lover

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Desi Pics - Madonna Young Naked x33

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New nude photos of young Madonna. Goddess of Sex!



Incest - আমার মায়ের কাহিনী

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আমার মায়ের কাহিনী



আমাদের পরিবারে আমরা তিনজন। আমি, আমার মা, আর আমার বাবা। আমার বাবা স্কুলের কেরানি আর মাঝে মাঝে সময় পেলে খেতে কাজ করে। আর আমার মা গৃহিণী।


কাহিনীটা আমার আম্মুকে নিয়ে।আমার আম্মুর নাম রোকেয়া।আমার আম্মুর বয়স ৩৮ বছর। পাকা যৌবন বতী, দুধের সাইজ ৩৮, পাছা ৩৬। এক কথায় সেক্সবোম্ব, যে দেখে সেই পাগল হয়ে যাবার মত অবস্থা। আমিই বা বাদ কেন। আম্মুর এই ফিগারে পাগলের মত অবস্থা। সকাল বিকাল খিচে মাল ফেলি শুধু এই শরীর কল্পনা করে। জানি না আর কত পুরুষ আম্মুকে তাদের মাল ফেলার জন্য খোরাক হিসেবে নেয়। তো যাই হোক অনেক তো পরিচয় দিলাম আশা করি বুঝতেই পারছেন আম্মুর সব কিছু। কাহিনী শুরু করা যাক তাহলে.....
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আমরা গ্রামে থাকি। বাবা গ্রামের একটা স্কুলে কেরানির কাজ করে। আর আমি ক্লাশ নাইনে পড়ি। আম্মু ফসলি জমি আর সংসারের দেখাশোনা করে। কেননা আব্বু সকাল থেকে সন্ধ্যা পর্যন্ত স্কুলে কাটায় তাই জমির খবর নেয়ার সময় হয় না।
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আমরা যে গ্রানে থাকি তার নাম হল শিমুল তলি। এই গ্রাম টা অন্য গ্রাম থেকে একটু আলাদা। অর্থাৎ অন্য গ্রাম গুলা একটু আধুনিক মুখি কিন্তু আমাদের গ্রাম টি একটু সেকেলে ধরনের। যেমন-আমাদের গ্রামের মহিলারা গ্রীষ্ম, বর্ষা অর্থাৎ সারা বছর শুধু শাড়ি আর সায়া পড়ে। ব্লাউজ পড়ে না। আমার আম্মু ও তাই করে। আর এ কারনে তার নধর দেহখানা আরো বেশি করে দেখার সুযোগ পাই। আমাদের গ্রামে আরও রীতি আছে যা বলে শেষ করা যাবে। তো যাই হোক এতক্ষন তো অনেক প্যাচাল হল এবার মুল গল্পে আসা যাক।






১।

আমাদের গ্রামে বেশ কিছুদিন আগে একজন লোক এলাকার সকল কৃষকের নেতা হয়েছেন। যে কারনে সবাই তার কাছে জমির ব্যাপারে যে কোন ধরনের আলোচনা করতে চলে যায়। লোকটার নাম রইছ ব্যাপারি। বয়স ৫২-৫৩ হবে।চেহারা খুব একটা ভাল না বলা যায় কুৎসিত। আর চেহারার মত চরিত্র টাও ভয়াবহ কুৎসিত, আর সেই কারনে তার ঘরে বউ নাই। আগে নাকি তিন টা বিয়ে করেছিল কিন্তু সবাই তার চরিত্রের কারনে চলে গেছে। রইছ ব্যাপারি নাকি খুব চোদন প্রিয় মানুষ। সপ্তাহে চারটা মেয়ে অথবা মহিলা নাকি লাগেই। উনার চোদার ঘটনার কথা অন্য পর্বে বলব। তো আম্মুর ও জমির ব্যাপারে উনার সাথে কথা বলার দরকার ছিল যদিও তার চরিত্র সম্পর্কে আম্মু অবগত ছিল কিন্তু তারপর ও গেল। যখন ব্যাপারির সাথে কথা বলতে গেল তখন বিকাল শেষ হয়ে সন্ধ্যা হয়ে গেছে প্রায়। যেহেতু গ্রামে থাকি তাই আম্মুর গায়ে কোন ব্লাউজ ছিল না যে কারনে আম্মুর নধর দেহ টা আরো সেক্সি লাগছিল। তো গিয়ে দেখল যে ব্যপারি একটা লুঙ্গি আর স্যন্ডো গেঞ্জি গায়ে দিয়ে তার কাজের লোকদের কাজের জন্য তাগাদা দিচ্ছে। আম্মু গিয়ে ডাক দেবার পর যখন আম্মুর দিকে তাকালো সাথে সাথে তার মাথা ঘুরে গেল। আম্মুর নধর দেহ টা র দিকে তার চোখ আটকে গেল। এত সেক্সি একটা মাল তার গ্রামে আছে অথচ সে জানে না ব্যাপার টা ভেবে একটু অবাক ঈ হল। তো আম্মু আবার ডাক দিল এতে করে রইছ ব্যপারির হুশ এল। এতক্ষন আম্মুর সেক্সি শরীর টার দিকে তাকিয়ে তার অন্য দিকে নজির ছিল না। আম্মুর কিন্তু এ ব্যাপার গুলো নজরে এল আর ভাল করে বুকে আচল তা দিয়ে দিল। আম্মু তার প্রয়োজনের কথা বলল। রইছ ব্যাপারি এতক্ষন আম্মুর কথা গুলো হা করে শুনিলো আর সাথে আম্মুর শরীর টাও। আম্মুর কথা বলার শেষে রইছ ব্যপারি আম্মুর প্রয়োজনীয় সব জিনিস দিয়ে দিল আরো জিজ্ঞেস করল আর কিছু লাগবে নাকি। তার ব্যবহারে আম্মু যথেষ্ট আশ্চর্য হল কিন্তু মুখ্ব কিছু বলল নাহ। শুধু বলল আর কিছু লাগবে না। আম্মু ফিরে আসবে এমন সময় আম্মুর কাছে জানতে চাইল বাড়ি কোথায়। আম্মু যখন বাড়ির অবস্থান দেখালো তা দেখে রইছ ব্যপারির মুখে একটা হাসি ফুটে উঠল যাকে শয়তানের হাসি বললেও কম হবে না। আম্মু এগুলা খেয়াল করলেও কিছু মনে করল না। ভাবল তার কাজ শেষ আর কোন সমস্যা নাই, এই ভেবে আম্মু বাড়ি এসে পড়ল। কিন্তু আম্মু কি জানত যে এরপর তার জিবনে কি পরিবর্ত্ন আসবে।

Adultery - chellito kamam

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hi naperu kalyan naku oka chelli undi tanu pinni kooturu tanu chala sexy ga untundi tanani chooste nadi 90% lechi nunchuntundi


inka vishayam loki velte tanu chala sexy ga untundi tana pedalu chooste korikeyalani anipistuntundi ta tits vachesariki round shape lo untai tana guddani chooste ileana gudda shape lo unatai cone shape antaruga ala untai

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Want this video of Sunny Leone

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If you have any questions regarding this, please open a new thread in HELP FORUM.

Thanks
JC

What are the chances..

Gadbad Ghotala On Exbii

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Lets Talks On Gadbad Ghotala On Exbii...!!

Just Raise Issue,If You Found And Feel Any Kinda Gadbad :dd:

Desi Pics - telugu actress incest kadhalu

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i am strating incst stories on actresses with pics
Give me actress names for mom

Gujrati Thread- કેમ છો ભાઈયો બેહનો

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This Thread Is Dedicated To All Exbian Gujraties...!!:happy: :happy:

Share Your Gujrati Feelings Here :love:

Fair or Dusky

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Dear friends this poll is to find out, which color skin tone will you prefer for a girl? These days does any girl or boy really feel like becoming fair or the trend is changing towards dusky beauties?? My wife is dusky and she thinks she is not sexy enough in that color however guys really die to get her on the bed just because if her sexy bidy and skin tone... This poll will help deciding whome would you prefer Fair & Lovely or Dusky & Hotty. Kindly give ur opinion and ur comments..

Incest - भारती दीदी की गांड में लंड

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मैं एक अच्छे घर-परिवार से हूँ। मेरी उम्र 25 साल, कद 6 फीट, मेरे लिंग की लम्बाई 6.5 ईंच और मोटाई 1.5 ईंच है। मेरे घर में मेरे अलावा माँ और एक बड़ी बहन भारती हैं जिसकी उम्र 30 साल हैं। वो बहुत ही फेशनेबल है। मेरी दीदी की फिगर 24-36-24 बहुत ही मस्त हैं उसकी चूचियाँ भी मस्त बड़ी हैं। बड़ी दीदी की शादी कुछ चार साल पहले हुई थी पर अब वो विधवा हो गई हैं।
मुझे मेरी दीदी बचपन से ही बहुत चाहती थी क्यूंकि मैं घर में सबसे छोटा हूँ। हम दोनो एक ही कमरे में सोते थे और दीदी के 20 साल की होने तक तो हम एक ही बेड प़र सोते थे।
प़र एक दिन माँ ने हमे अलग-अलग बिस्तर प़र सोने को कहा। मैंने हमेशा से ही दीदी को चोदने की सोची थी और रात को दीदी के सोते समय उनकी चूचियाँ और चूत कभी कभी दबा लेता था। प़र डर के कारण आगे कुछ नहीं कर पाता था। हाँ, बाथरूम में मुठ ज़रूर मार लेता था। दीदी को चोदने को मेरा बहुत मन करता था।
अब भारती दीदी वापस आ गई थी। सो मैं रोज उससे अच्छी अच्छी बातें करने लगा ताकि दीदी को किसी पुरानी घटना की याद न आये।
एक दिन भारती दीदी बाथरूम से नहाकर आ रही थी तो अचानक मेरी नज़र उन पर पड़ गई, शायद बाथरूम में तौलिया नहीं था, वो गीले बदन पर गाउन पहने थी। भारती दीदी के कपड़े शरीर से चिपके हुऐ थे और वो बहुत ही सुन्दर लग रही थी।
उस दिन फिर से मैंने मुठ मारी।
हम दोनों हमेशा कंप्यूटर प़र गेम और चैट करते रहते थे। एक दिन दीदी साथ वाले कमरे में सो रही थी। मैंने कंप्यूटर प़र जानबूझ कर एक कहानी 'दीदी की चुदाई' पढ़नी शुरू की। अचानक दीदी पास आकर बैठ गई और उसने वो कहानी पढ़ ली उसने मुझसे कहा- तुम यह सब पढ़ते हो क्या?
मैं चुपचाप उनको देखने लगा। मैंने मौका देख कर उसके होठों पर चूम लिया। भारती दीदी ने मुझे पकड़ कर अलग कर दिया और कहा- मार खाएगा तू !
और दीदी वहाँ से उठ कर जाने लगी। जाते समय मेरी तरफ देख रहस्यमयी मुस्कान दी। मैंने भी मुस्कुराते हुए दीदी की तरफ देखा।
थोड़ी देर में दीदी ने मुझे आवाज़ दी और सोने के लिए कहा। मैं सोने आ गया। बातों बातों में दीदी ने मुझे कहानी के बारे में मुझे पूछा। मैने भी सब बता दिया।दीदी ने मेरी तरफ देखा, मैंने मौका देख कर फ़िर उसके होठों पर चूम लिया। भारती दीदी ने मुझे पकड़ कर अलग करने की कोशिश की लेकिन मैंने उन्हें छोड़ा नहीं और चूमता रहा।
मैं भारती दीदी के होठों को अपने होठों से चिपका कर चूमे जा रहा था, वो बेतहाशा पागल हो रही थी।

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BS

Fantasy - मेरा लंड और मामी की चूत, मजा आ गया भइया

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मेरी मामी जो लगभग ३२ साल की है और दो बच्चों की माँ है, रंग गोरा, शरीर भरा हुआ, न एकदम दुबला न एक दम मोटा-ताज़ा। मतलब बिल्कुल गज़ब की। पर चूचियाँ तो दो-दो किलो के और गाँड कुछ ज़्यादा ही बाहर निकले हैं। मेरे ख़्याल से उसकी फिगर ३८-३२-३९ होगी।
मैं उस मामी को चोदने के चक्कर में दो सालों से लगा था, और उसके नाम से मूठ मारा करता था। मेरे मामा (४०), जो ग्वालियर में ही रहते थे, रेडीमेड कपड़ों के धंधे में थे और अपना माल दिल्ली ख़ुद ही जाकर लेकर आते थे।
एक दिन जब मैं अपने घर पहुँचा तो मामा वहाँ थे, और मम्मी से बातें कर रहे थे। मैंने मामा से पूछा – “अब नये कपड़े कब आ रहे हैं?”
“बस आज ही लाने जा रहा हूँ। पर इस बार माल दिल्ली से नहीं, मुम्बई से लेकर आना है। वहाँ एक नामी कम्पनी से मेरी बात तय हो गई है। मुझे वहाँ से आने में चार-पाँच दिन तो लग ही जाएँगे। तब तक मैं चाहता हूँ कि तुम दिन में एक बार ज़रा दुकान जाकर काम देख लेना और रात में मेरे घर चले जाना।”
“तू एकता और बच्चों को यहीं क्यों नहीं छोड़ देता?” मेरी मम्मी ने पूछा।
“मैंने एकता से कहा था कि बच्चों के साथ दीदी के यहाँ रह लेना, पर वह कह रही थी कि चार-पाँच दिनों के लिए आप लोगों को क्यों परेशान करना, बस नन्द को बोल देना, वो तुम्हारे आने तक हमारे यहाँ ही आ जाए और दुकान को भी काम देख ले। नौकरों के भरोसे दुकान छोड़ना ठीक नहीं। तुझे कोई दिक्क़त तो नहीं?” – मामा बोले।
“अभी तो मैं पूरा खाली ही हूँ। परीक्षाएँ भी खत्म हो चुकी हैं। चलिए एक अनुभव के लिए आपकी दुकान को भी सँभाल लेते हैं (और मामी को भी)।”
“आज ८ बजे मेरी ट्रेन है, तू सात बजे घर आ जाना और मुझे स्टेशन छोड़ कर वापिस मेरे घर ही चले जाना।”
“ठीक है मैं ६:३० बजे आ जाऊँगा।”
६:३० बजे मैं मामा के घर पहुँच गया, मामा सफ़र की तैयारी कर रहे थे और मामी पैकिंग में मामा की मदद कर रही थी। पैकिंग के बाद मामी ने मामा को खाना दिया और मुझे भी खाने के लिए पूछा।
“मामा को छोड़कर आता हूँ, फिर खा लूँगा।” मैंने कहा।
७:३० बजे मामा और मैं स्टेशन पहुँच गए। मामा की ट्रेन सही समय पर आ गई, मामा का आरक्षण था, मामा अपनी सीट पर जाकर बैठ गए और पाँच मिनट के बाद ट्रेन मुम्बई के लिए चल पड़ी। चलते-चलते मामा बोले,”मामी और बच्चों का ख्याल रखना।”
“आप यहाँ की फिक्र ना करें, मैं मामी और बच्चों का पूरा ख्याल रखूँगा।”
मैंने स्टैण्ड से अपनी बाईक ली और ८:३० तक घर आ गया। मैंने दरवाज़े की कॉलबेल बजाई तो मामी ने दरवाज़ा खोला और बोली,”हाथ-मुँह धो लो, अब हम खाना खा लेते हैं।”
“आपने अभी तक काना नहीं खाया?” मैंने पूछा।
“बस तुम्हारा ही इन्तज़ार कर रही थी। बिट्टू और सोनू तो खाना खाकर सो गए हैं। तुम भी खाना खा लो।”
मैं और मामी डिनर की टेबल पर एक-दूसरे के आमने-सामने बैठ कर खाना खा रहे थे। जब मामी निवाला खाने के लिए थोड़ा झुकती उनकी चूचियों की गहराईयों के दर्शन होने लगते और मेरा लंड विचलित होने लगता। पर स्वयं को सँभाल कर मैंने खाना खतम किया और टीवी चालू कर लिया। उस समय आई पी एल मैच चल रहे थे, मैं मैच देखने लगा।
कुछ देर बाद मामी बर्तन साफ करने लगी और वह भी मैच देखने लगी। जल्दी ही उसे नींद आने लगी। “मैं तो सोने जा रही हूँ, तुम भी हमारे कमरे में ही सो जाना, तुम डबल बेड में बच्चों के एक तरफ ही सो जाना” मामी बोली।
“ठीक है, बस एक घन्टे में मैच खत्म होने वाला है। आप सो जाओ, मैं मैच देखकर आता हूँ।”
मामी चली गई और मैं मैच देखने लगा।
कुछ देर बाद बाद ब्रेक हुआ और मैं चैनल बदलने लगा, और एक लोकल चैनल पर रुक गया। डिश वाले एक ब्लू-फिल्म प्रसारित कर रहे थे। अब काहे का मैच, मैं तो उसी चैनल पर रुक गया और वो ब्लू-फिल्म देखने लगा और मेरा लंड हिचकोले मारने लगा। for PART 2 click HERE

Need to see this hot babe

Review - dum laga ke haisha

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fter a promising start, Ayushmann finally picks the right vehicle to harness his talent. But it is Bhoomi who is literally the force behind this vehicle.

Face value is a much abused term in our films and through them it stretches into our lives. Our mainstream films have given us such rigid definitions of beauty and the shapes that it comes in that often we end up judging the book by its cover. And Yash Raj Films is often the culprit in creating these chiffon thick definitions. This week the banner breaks the stereotypes with a flourish as debutant director Sharat Katariya takes us to the holy towns of Haridwar and Rishikesh to celebrate ordinariness.
Set in 1990s, an era which we often mock at as over the top in pop culture, Sharat brings out the nuances of the period. Prem, a high school fail boy who runs a music recording shop, is forced to get married to a plump Sandhya in group marriage. Sandhya is overweight but unlike Prem she is educated and talented. In her, Prem’s father sees a bahu who could help improve the family’s economic condition. But Prem can’t look beyond the size. Add to it Sandhya’s brimming self esteem and their relationship hits a rough path even before it gets started.

Genre: Romance/ Drama
Director: N. Sharat Katariya
Cast: Ayushmann Khurrana, Bhumi Pednekar, Sanjay Mishra, Seema Pahwa, Alka Amin, Sheeba Chadda
Bottomline: A welcome reminder of simple joys and sorrows of life, watch it with somebody you love.

It is one the most relatable and grounded films from Yash Raj banner in the last few years which never resorts to crowd pleasing tricks after taking a detour from big city “Dhoom” to the seemingly drab routines of small town India. There are no grand designs, no mawkish emotions and yet it is deliciously entertaining. For once we have a film from a studio which is not trying to be rooted. It is. It is a space that Rajshri used to exploit.
The detailing is delightful. Be it the sound of Pandit Bhimsen Joshi rendering “Mile Sur Mera Tumhara” or the use of Kumar Sanu songs to create the atmosphere of the 90s, Katariya has filled the ambience with many little gems that you won’t forget in a while. Perhaps for the first time the RSS shakha finds a place in a mainstream film as a routine feature. B.Ed, the degree that could get you a job, the double-breasted coats, the feeling of the sari coming apart without that safety pin, the tantrums of Bajaj scooter and the use of Limca to get over that pukey feeling, it is all there.
And when you begin to feel that Sharat is only good at creating the scene, he slips in simple observations on love, marriage and divorce and how ego can ruin relationships.
After Aankhon Dekhi, Sanjay Mishra and Seema Pahwa once again recreate the magic of ordinariness. The only difference is that this time they are on the opposite sides of the fence. Seasoned theatre practitioners Alka Amin and Sheeba Chadda don’t allow the well meaning mother-in-law and the nosey bua to fall into a rut.
After a promising start, Ayushmann finally picks the right vehicle to harness his talent. He embraces the diction and body language of Prem, a manchild who is finding it hard to come out from under his father’s shadow.
But it is Bhoomi who is literally the force behind this vehicle. With no baggage of expectations, she expresses herself without any affectations. There is no space for make believe when she is on screen and as Sandhya she lifts the romance to a relatable level.





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